वर्तमान विश्व संकट में योग की प्रासंगिकता

  • जयराम कुशवाहा

Abstract

वर्तमान समय निश्चित रूप से संकट का दौर है और इस संकट के दौर में कई बार विश्व को अनेकों ऐसी समस्याओं जैसे विश्वव्यापी आर्थिक संकट, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, यातायात, व्यापार आदि सभी क्षेत्रों में कोरोना महामारी की विभिषिका का प्रभाव देखने को मिल है। वास्तव में हम देखते है कि कोविड-19 के इस दौर में सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, तो वह मानव जीवन है। कोरोना महामारी मानवीय जीवन के लिए एक नरसंहार के रूप में प्रभावित कर रही है जिसके कारण व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से प्रभावित हो रहें है। वर्तमान विश्व संकट की गंभीर समस्या को आज किसी ऐसी तकनीक या साधना अथवा जीवनशैली की आवश्यकता है, जो मानवीय जगत को इस विश्वव्यापी संकट के दौर में धैर्य व सहास के साथ महामारी के बचाव और रोकने में सहायक हो।
वर्तमान समस्या के आधार पर अनुसंधान की दृष्टि से हमने पाया है, कि यौगिक जीवन शैली एक मात्र ऐसी साधना है, जो सम्पूर्ण विश्व की मानव जाति को कोरोना काल के संकट में भी वर्तमान जीवन की समस्याओं के समाधान जैसे शारीरिक, मानसिक अथवा सामाजिक समस्याओं आदि में योग विज्ञान का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। वर्तमान विश्व संकट में मनुष्य, जीव व जंतु यहाँ तक कि प्रकृति भी उद्वेलित और अशांत है। प्रायः किसी को भी शांति नहीं है। आज विश्व यदि इस महासंकट का समाधान चाहता है, तो वह ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश देने वाले भारत की प्राचीन साधना ’योग’ हो सकती है। इस विषम परिस्थिति में भारत का ‘योग दर्शन’ संसार को शांति और सद्भावना प्रदान करने की शक्ति रखता है।

Published
2021-07-05