आधुनिक हिन्दी काव्य में स्वच्छन्दतावाद का स्वरूप एवं विकास – एक अनुसंधानात्मक अध्ययन
Abstract
आधुनिक हिन्दी साहित्य में 'स्वच्छन्दतावाद' शब्द का प्रयोग अंग्रेज़ी साहित्य के 'रोमांटिसिज़म' के समानार्थी रूप में किया जाता है | किन्तु दोनों के स्वरुप में काफी अंतर है |.पश्चिम में रोमांटिसिज़म यानी साहित्य आंदोलन केवल काव्य तक सीमित नहीं रहा | पर हिन्दी में स्वच्छन्दतावाद का पूर्ण उत्कर्ष काव्य में ही हुआ , यद्यपि नाटक , उपन्यास और कहानियों को भी उसने प्रभावित किया 'स्वच्छन्द' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के विशेषण 'स्व' तथा धातु 'छन्द' के संयोग से हुई है | 'स्व' का अर्थ है स्वयं की एवं 'छन्द' का अर्थ है 'इच्छा'| इस प्रकार दो शब्द के योग (स्व+ छन्द) से निष्पन्न इस शब्द का अर्थ है 'स्वेच्छानुसार '(According to one’s own free will) हिन्दी में भी स्वच्छन्द शब्द इसी अर्थ में प्रयुक्त होता है | इस विशेषण से 'ता' प्रत्यय जोड़कर इसकी भाववाचक संज्ञा शब्द 'स्वच्छन्दता' बन जाती है | इसका कोशगत अर्थ है स्वतंत्रता या स्वाथीनता | स्वच्छन्दतावाद हिन्दी का मूल शब्द न होने के कारण शायद हिन्दी के प्रामाणिक शब्द कोशों में इसका उल्लेख नहीं हुआ है | किंतु १९५५ में प्रकाशित श्री राजेंद्र द्विवेदी द्वारा प्रणीत 'साहित्यशास्त्र का पारिभाषिक शब्द-कोश' में यह शब्द पाया जाता है | यहाँ भी इसका प्रयोग हिन्दी साहित्य के वाद के रूप में नहीं , बल्कि यूरोपीय साहित्य की काव्य -धारा के रूप में ही हुआ है |