समकालीन हिंदी कविताओं में चित्रितसामाजिक यथार्थ
Abstract
21 वीं सदी का समाज पुराने मूल्यों, परम्पराओं तथा विचारोंसे मुक्त होकरपरिवर्तन की दिशा मेंआगे बढ़ रहा है।लेकिन कुछेक ऐसे भी तत्व हैं, जिनसे भारतीय समाज आज भी प्रभावित है।मुख्य रूप से देखा जाए तो जातिवाद, साम्प्रदायिकता, पितृसत्तात्मकसोचतथा दलित, आदिवासी,स्त्री, अल्पसंख्यक, थर्ड जेंडर आदि के प्रति संकीर्ण मनोभावनाएंसामाजिक संरचनाको प्रभावित कर रही हैं। इसीलिएइन तमाम चीज़ों एवं चुनौतियों सेउभरना समकालीन समय की मांग एवं आवश्यकता है।सामाजिक व्यवस्था को सदियों से चली आ रही इन कुरीतियों, समस्याओं तथा विषमताओंसे मुक्त कर एक नवीनसमाजका निर्माण करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।इसी पहल को वर्तमान साहित्य में देखा जा सकताहै।जिसमें समकालीन रचनाकार अपने लेखन के माध्यम से समाज की प्रत्येक गति एवं दशा और दिशा को चित्रितकरने में अपनी भूमिका निभाता है।