समावेशी शिक्षा कैसे और क्यो?

  • अभय कुमार

Abstract

मनुष्य एक चिन्तनशील प्राणी है। सोचना मनुष्य का विशिष्ट गुण है। इसी गुण के फलस्वरूप वह पशुओं से भिन्न समझा जाता है। अरस्तु ने मनुष्य को विवेकशील प्राणी कहकर उसके स्वरूप को प्रकाशित किया है। विवेक अर्थात् बुद्धि की प्रधानता रहने के फलस्वरूप मानव विश्व की विभिन्न वस्तुओं को देखकर उनके स्वरूप को जानने का प्रयास करता रहा है। मनुष्य की बौद्धिकता उसे अनेक प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए बाध्य करती रहती है। वे प्रश्न इस प्रकार है - 

Published
2020-02-19