जल-प्रदूषण

  • अभय कुमार

Abstract

आधारभूत पंचतत्वों में से एक, जल हमारे जीवन का आधार है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि जल न होता, तो सृष्टि का निर्माण की संभव न होता। यही कारण है कि यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है, जिसका कोई मोल नहीं है। जीवन के लिए जल के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ नदियों के तट पर ही विकसित हुई और अधिकांश प्राचीन नगर नदियों के तट पर ही बसे। जल की उपादेयता को ध्यान में रखकर यह अत्यंत आवश्यक है कि हम न सिर्फ जल का संरक्षण करें, बल्कि उसे प्रदूषित होने से भी बचाएं। इस संबंध में भारत में जल संरक्षण की एक समृद्ध परंपरा रही है और जीवन को बनाये रखने वाले कारक के रूप में हमारे वेद-शास्त्र जल की महिला से भरे पड़े हैं। ऋग्वेद में जल को अमृत के समतुल्य बताते हुए कहा गया है-

Published
2020-06-24