राजपूत में विवाह और परिवार संबंधी मनोवृत्तिः संक्रमण के दौर में

  • डाॅ. नीना रंजन

Abstract

विवाह और परिवार मानव समाज की महत्वपूर्ण संस्था है जो स्त्री और पुरुश को पारिवारिक जीवन में प्रवेष की अनुमति प्रदान करता है। हिन्दु सामाजिक व्यवस्था में विवाह के तीन उद्देष्य हंै- धर्म, प्रजा और रति। आज के बदलते परिवेष में दोनों के परंपरागत रुप प्रभावित हो रहे हैं। परिवार एकाकी होता जा रहा है। विवाह की प्राचीन मान्यताएँ और पद्धतियाँ बदल रही हंै। विवाह के लिए न्यूनतम आयु, अन्तर्जातीय विवाह तथा विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता तथा दहेज लेने और देने को अपराध बताने से संबंधित अधिनियमों ने लोगों की मनोवृत्ति को बदला है। परिवार एवं विवाह की मान्यताओं में अपेक्षित परिवत्र्तन हुए हैं जो हिन्दु समाज के राजपूत जाति में भी घटित हो रही है।

Published
2020-06-09