पंछी बन कर उड़ना चाहा
Abstract
पंछी बन कर उड़ना चाहा ।
बादलों के संग खेलना चाहा ।।
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तुफ़ानों ने रोक दिए रास्ते ।
जब मंज़िलों को पाना चाहा ।।
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हर पल लोगों के नए रंग दिखे ।
मर कर जब ज़ीना चाहा ।।
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संकरी राहों में भटक गए जब ।
अन्धेरों में रती ने रोशनी को चाहा ।।