पंछी बन कर उड़ना चाहा

  • Ms आरती

Abstract

पंछी बन कर उड़ना चाहा  ।

बादलों के संग खेलना चाहा  ।।

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तुफ़ानों ने रोक दिए रास्ते  ।

जब मंज़िलों को पाना चाहा  ।।

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हर पल लोगों के नए रंग दिखे ।

मर कर जब ज़ीना चाहा  ।।

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संकरी राहों में भटक गए जब ।

अन्धेरों में रती ने रोशनी को चाहा  ।। 

Published
2016-12-07