इस पतझड़ में आना

  • असग़र वजाहत

Abstract

लंदनवासी पंजाबी कवि यानी अमरजीत चंदन, 
क्या तुमने कसम खाई है कि तुम जो पत्र लिखोगे उनकी लंबाई तुम्हारी कविताओं से ज्यादा न होगी।
इधर कुछ बदमाशों ने 'पिक्चर पोस्टकार्ड' बनाकर तुम्हारी इस कोशिश में चार चांद लगा दिए हैं। यानी तुम्हारा पिक्चर पोस्टकार्ड मिला। पढ़कर जल गया। खुदा के बंदे, दोस्तों को खत लिखा करो तो पिक्चर पोस्टकार्ड के वजूद को भूल जाया करो और मेरी तरह सफेद कागज के कई पन्ने स्याह कर डाला करो, अब तुम समय का रोना रोने लगोगे। तो समय पर एक शेर सुनो :
वक्त की डोर को थामे रहे मजबूती से
और जब छूटी तो अफसोस भी उसका न हुआ।

 
Published
2018-07-16